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Teesri Duniya Ke Charche : Do Khwab

  • ASIN  : B0CKLX8B1P
  • टाईटल : तीसरी दुनिया के चर्चे: दो ख्वाब
  • Title : Teesri Duniya Ke Charche: Do Khwab
  • Author : Harsh Ranjan
  • Publisher ‏ : ‎ The Digital Idiots
  • Language ‏ : ‎ Hindi
  • Print length:  50+ pages
  • First Book of Series Teesri Duniya Ke Charche
  • Versions : E-Book
  • Non-Fiction
Category:

Description

‘तीसरी दुनिया के चर्चे: दो खवाब’ से उद्धृत

? हमें ये समझना पड़ेगा कि समानता कैसे समानता की कीमत पर स्थापित की जाती रही है केवल इसलिए कि वो समानता पिछले युग का हासिल है। अगर दुनिया को एक बार फिर से समान कर दिया जाये तो भी अगले ही बरस फिर हम असमानता के लक्षण देखने लगेंगे। हमेशा समानता बनाए रखना कुछ वैसा ही है मानो चलते ऊंट की पीठ पर गेंद स्थिर रखना। समानता अवसर समान उपलब्धि में कटौती करके ही हासिल होती है और समानता स्थापित करने के लिए अगर समानता की अवहेलना करनी पड़े तो फिर वो समानता ही कहाँ है?… हाँ और अगर ये प्रेरणा और पुश आता कहाँ है अगर ये आप ध्यान से देखें तो आपको पता चलेगा कि वो भी खुद समानता की संतुलित शक्ति से उपजी नहीं थी। लेकिन समानता एक ऐसा शब्द है जो सबको आकर्षित करता है और सबको ऐसा लगता है कि अगर उससे किसी को फायदा और किसी को नुकसान नहीं हो रहा तो वो हानिरहित है। इसके साथ ही इसमें नीचे से ऊपर आने का भाव है और चूंकि हर कोई असंतुष्ट है सो हर कोई किसी न किसी धरातल पर ऊपर जाना चाहता है, और इस सिद्धान्त को दिल दे बैठता है। जबकि उल्टी तरफ ऊपर से नीचे आने का जो कम चर्चित भाव इस समानता में निहित है अगर उसपर ध्यान गया भी तो लोग ये मानते हैं कि दुनिया में सुखी, सम्पन्न और प्रगतिशील सिर्फ दूसरों के माल दबाकर ही हुआ जा सकता है, जो एक गुलामी के दौर की मानसिकता है। असल में गुलामी में हमें ये लगने लगा कि हर कोई शोषण करके ही आगे बढ़ता है, तभी विदेश के पूंजीपति हमें दातादानी दिखते हैं और अपने घर में जब कोई आगे बढ़ता है तो हम उसके पीछे पत्थर लेकर दौड़ते हैं।

 

 

 

 

 

 

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