Vairagya
- ASIN : B0DZTF9ZB2
- टाईटल : वैराग्य
- Title : Vairagya
- Author : Harsh Ranjan
- Publisher : The Digital Idiots
- Language : Hindi
- Print length : 150 pages almost
- Story Collection of 6 Stories
- Versions : E-Book
- Ebook available on Kindle, Google
- Fiction
Description
वैराग्य से उद्धित
ये जो बच्चा सामने रो रहा है, ये आज की तारीख में सारे मुद्दों पर चढ़ बैठा अकेला मुद्दा है! मैं बरी क्या होऊँगा और क्या बरी होना चाहूँगा, मैं डूबने को और गहरे पानी में उतर चुका। यहाँ इस गहराई में अब बढ़ते जाना है इस भरोसे कि दरिया पार हो जाये!
मोह को देखते-देखते, मोह से गुजरते-गुजरते मैंने इतने मोह पा लिए थे कि मुझे लगा वो मेरे सीने को कस गए। मोह से मोह खत्म नहीं होता, नया मोह पैदा हो जाता है। इसके बाद ऐसी छटपटाहट होती है कि मेरे जैसे लोग हूंकारते हैं और सब कुछ से निकल जाने के लिए हाथ-पैर मारते हैं।
…. ऐसा लगा कि चुप सी भींगी हुई रात में सोती हुई पत्नी और बच्चे को लांघकर, घर की और समाज की दहलीज पार करके कोई अज्ञात दिशाओं के लिए बाहर निकल गया हो! वो ज़िम्मेदारी से नहीं भाग रहा, वो मोह के इस दमघोंटू जाल से तंग है और अपनी साँसों को आज़ाद करने के लिए कीमत देने तैयार है….आज मुझे वैराग्य की वजह मिल गयी थी!
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