Sawan Ki Ek Saanjh
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ISBN 9788193463352
- टाईटल : सावन की एक साँझ
- Title : Sawan Ki Ek Saanjh
- Author : Harsh Ranjan
- Publisher : Author’s Ink Publications (23 September 2018)
- Language : Hindi
- Print length : 300 pages almost
- Story Collection of 10 Stories
- Versions : E-Book and Paperback
- Paperback available on Amazon and Flipkart
- Fiction
Description
सावन की एक साँझ से उद्धृत
एक कप चाय!
चाय लेकर वह उसी तरह सरकता हुआ फिर उसी पिछली जगह वापस आ गया। उसके दिमाग मे कुछ चित्र घूम रहे थे… बिखरे हुए से कमरे में बैठा मुस्कुरा रहा आशुतोष, उसकी बनाई कच्ची-पक्की, बासी, सड़ी, गली रोटियां जिसे वो बेहद शौक से खा रहा है। दूसरी तरफ रौशन थी जिसके लैपटाप के कैमरा रॉल फोल्डर मे बीसीयों सेल्फीज भरी पड़ी थी, उसके आफिस का शोर एक तरफ था दूसरी तरफ बिना चेहरे वाले कई लोग थे जो चारों तरफ से उसे घेरे जा रहे थे। वही उसके पास खड़ी रिमझिम मुस्कुरा रही थी।
इस अनुभूतियों की भीड़ में अमृता कैसे पीछे छूट सकती थी। उसे लगा कि वो अभी-अभी अपनी उसी प्यारी सी मुस्कुराहट के साथ सामने आ खड़ी होगी और कहेगी कि भगवान तुम्हें वो सब दे और खूब दे जो मैं तुम्हें न दे सकी। ठीक उसी तरह जिस तरह भगवान ने उसे वो सब कुछ दिया और खूब दिया जो तब दीपक उसे नहीं दे सका। दीपक अचानक ही कह उठता है कि तुमसे तो अपना दुपट्टा तक नहीं संभाला जाता था…
….अब परिवार संभाल रही हूँ, है ना!
अमृता अपनी बेटी को फिर से दीपक को पकड़ाती है और दीपक शरमा जाता है, और वो श्रद्धा बन जाती है जो अपनी माँ के लिए रोती हुई हाथ में एक गुड़िया पकड़े वीणा की तरफ हाथ हिलाकर उसे टाटा कह रही है।
इस भीड़ मे खड़ा दीपक अपने आप को बहुत छोटा समझने लगा था, उसने मुड़कर देखा बढ़ रहा शोर असल में एक चक्की का था, जो पीछे वहीं तेजी से गेहुँ पीसता जा रहा था। उसने अपने चारों ओर देखा। हवा भी तेज चल रही थी और बारिश भी तेज हो रही थी।
“….आज भींगकर जाऊँगा घर!” उसने कहते हुए चाय की चुस्की ली और बारिश में उतर पड़ा।
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