Paschat Mere Hath
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ISBN 9788193650134
- टाईटल : पश्चात मेरे हाथ
- Title : Paschat Mere Hath
- Author : Harsh Ranjan
- Publisher : Author’s Ink Publications ((21 August 2018))
- Language : Hindi
- Print length : 140 + pages
- Poetry Collection
- Versions : E-Book and Paperback
- Paperback available on Amazon and Flipkart
Description
‘उपरांत’ शीर्षक कविता से उद्धृत:
कुछ गुत्थियां उलझी रह गयीं,
कुछ पहेलियां अनसुलझी रह गयीं,
लोगो ने सवाल पूछना ज्यो बंद किया,
सवाल अनकहे हो गये,
नजरें झुकाने की लत लगी और
ज्वार अंदर खो गये…
बाकीं सब कुछ वहीं रहा!
हवाओ मे उलझा आदमी एक
वहीं खड़ा रहा।
शब्दो के जाल में एक कबूतर
वहीं पड़ा रहा!
दो चक्कों को रोककर घोड़ा
वहीं अड़ा रहा।
उस पुराने कमरे को खोला,
कमरे में बंद अरमानो को टटोला
…एक आहट पास आ रही थी।
मैंने पाया
जिसे अंदर बंद किया था
लेकिन
परछाई उसकी
चैखट से दूर जा रही थी।
…और आज
पड़े-पड़े ये व्यथा जगी है
घर की दीवारे राख हो गयीं
और
हवा अब तक सर्द है
वो आग कौन सी लगी है?
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