Buy books by Harsh from the online stores.

Menu
Padaw

Parchhaiyon Ke Peechhe: Padaaw

  • ASIN B0BRWNK2L1
  • टाईटल : परछाईयों के पीछे : पड़ाव
  • Title : Parchhaiyon Ke Peechhe: Padaaw
  • Author : Harsh Ranjan
  • Publisher ‏ : ‎ The Digital Idiots 
  • Language ‏ : ‎ Hindi
  • Print length ‏ : ‎ 300+ pages
  • Novel Series : 3rd Part
  • Versions : E-Book
  • Fiction
Category:

Description

‘परछाईयों के पीछे : पड़ाव’ से उद्धृत

टेलीफ़ोन लाईन पर दोनों छोरों में कुछ समय तक किसी भी तरह की ध्वनियाँ संचारित नहीं हुईं।

-मेरे सामने तीन शीशियाँ हैं, किसी एक में जहर है, मुझे पता नहीं किसमें और मैं एक पीने जा रहा हूँ।

दूसरी तरफ सुई-पटक सन्नाटा था।

रवि ने ताकत जोड़कर फोन काट दिया।

इसके बाद एक अंतराल गुजरा जो किसी बात को समझने के लिए पर्याप्त होता है या कि जितने समय में कोई एक बड़े उत्तर के लिए साल दर साल गुजरे जीवन के अध्याय के पृष्ठों पर नजर दौड़ाता है।

ये गुंजन का लिया समय था। फिर दूसरी तरफ से कॉल आया। अरसे बाद दोनों नंबरों ने दोनों नंबरों को पुकारा था, जो दिन में अनगिनत बार जुड़ा करते थे कभी।

एक सनसनाहट भर उभर पड़ती थी रह रहकर। कभी-कभी पेसेंजर ट्रेन की हल्की सी ताल मिल जाती …. इसके बाद एकाएक जैसे कि बाढ़ में उफनाती हुई नदी सारे अवरोध को तोड़कर बेतहाशा बढ़ती हुई सब कुछ सराबोर कर देती है…

उसके रोने की आवाज बिलकुल अकेले कमरे से आ रही थी… रवि अपनी ठुड्डी कस कर मानो अपने आवेग को रोकने की कोशिश कर रहा हो… आवाज कम होती हुई, गुम गयी… लाईन आडियल पड़ गयी।

रवि ने आँखें बंद कर ली… मोबाईल बैटरि के अभाव में खुद ऑफ हो गया।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Parchhaiyon Ke Peechhe: Padaaw”