Papa Pigibank Paitrik: Shoonya (अंतिम भाग)
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ASIN B0BVKXVB58
- टाईटल : पापा पिगीबैंक पैतृक शून्य
- Title : Papa Pigibank Paitrik Shoonya
- Author : Harsh Ranjan
- Publisher : The Digital Idiots
- Language : Hindi
- Print length: 176 pages
- Third & Last Part of One complete Novel
- Versions : E-Book
- Fiction
Description
‘ पापा पिगीबैंक पैतृक : शून्य ‘ से उद्धृत
पापा … माने जरूरत! शौक! भविष्य की आधारशिला की हर सामग्री!
धीरे-धीरे यही पापा नाम का ये धन आपके लिए एक छोटा सा बचत खाता या एक पिगीबैंक बैंक जाता है। जिसे आप हर विपद के मौके पर खोजते हैं… जिससे कुछ पाते हैं…सारे बच्चों ने अपने-अपने गुल्लक से कुछ न कुछ पाया और एक बुरा दौर सरलता से गुजारा। इसके बाद फिर धीरे-धीरे वो पिगीबैंक और उसमें रखी मुद्रा पुरानी हो जाती है, इतनी पुरानी कि उसका महत्व सिर्फ आपके लिए रह जाता है… ये पैतृक कहलाती है तब। ये पितर की भांति होते हैं… इनका साथ इन का आशीर्वाद होता है। इन का कोई मौद्रिक महत्व हो भी तो वो भावनाओं से कम ही होता है। ऐसा ही कुछ यहाँ देखने को मिला।
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