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daur tha gujar gaya

Daur tha Gujar gaya

  • ISBN 978-8194156123
  • टाईटल : दौर था गुजर गया / फेसबुक पर एक रात
  • Title : Daur tha Gujar gaya /Facebook Par Ek Raat
  • Author : Harsh Ranjan
  • Publisher ‏ : ‎ Pushp Prakashan 
  • Language ‏ : ‎ Hindi
  • Print length ‏ : ‎ 170+ pages
  • Story Collection of 10/9 Stories
  • Versions : E-Book and Hardcover
  • Fiction
Category:

Description

‘टूटे शीशे के खेल’ से उद्धृत

-ये मम्मी के लिये।- मोहित ने दूसरा पैकेट बच्चे को दिया और बच्चा उसे लेकर सुधा के पास आया।

-ये सब छोड! ये तो आनी जानी चीज है। तू बना रह बस।- कलीग ने कहा।

-मुझे पता है कि मुझे कुछ नहीं होगा। मेरी जरूरत है अभी।- मोहित ने सुधा की तरफ देखकर कहा।

सुधा को लगा कि उसे किसीने तमाचा मारा हो। वो कमरे में नहीं गयी। मोहित को लेकर वो वापस आते वक्त रास्ते भर यही सोचती रही कि ना तो सच्ची प्रेमिका बनकर वो जान दे सकी और ना तो अच्छी पत्नी बनकर घर की रौनक। वो असफल स्त्री बनकर रह गयी है और साथ ही बर्बाद करने की एक मशीन जिसने सोनू की जान ली और मोहित की वो खुशियाँ जिसकी कामना उसने शादी के वक्त की होगी।

एक पहाड सा टूटा था नजर के आगे से जिसके दूसरी तरफ मोहित घायल पडा हुआ था। उसे लगा कि एक बार फिर से उसे जीता जा चुका है।

सामने मोहित आधी नींद में बिस्तर पर बडबडा रहा है। सुधा उसे एकटक देख रही है। ऐसा लग रहा है कि उसकी जिंदगी ने उसे खींचा हो इस दिशा की तरफ। अचानक वो मोहित के पास आयी और उसके ललाट पर हाथ रखा। मोहित की आँखें खुल गयी। आज की रात स्वीकारने की रात है और पहली बार बेड पर मुश्किल से लेटे मोहित के आगे सुधा ने अपना दुपट्टा कतरा-कतरा ढुलकाया, रौशनी कम हुई और बिजली सा चमक उठा सुधा का शरीर। कांच रौशनी से खेलता रहा, टुकडे होने के बाद भी और ये उसकी कीमत है।

 

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