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Ishq @ Shamshaan

  • ASIN : B09559D1JK
  • टाईटल : इश्क़ @ शमशान
  • Title : Ishq @ Shamshaan
  • Author : Harsh Ranjan
  • Publisher ‏ : ‎ The Digital Idiots 
  • Language ‏ : ‎ Hindi
  • Print length ‏ : ‎ 120 pages almost  
  • Poetry Collection
  • Versions : E-Book
Category:

Description

‘रामायण’ शीर्षक कविता से उद्धृत:

रावण को आग लगाई है,
लोग सोचते हैं, उसे देखकर,
शायद जलाने को अगली बार
रावण न मिले  आशा करते  हैं।
लोग नहीं जानते,
रावण इसलिए जलाए जाते हैं,
कि हर साल
कोई खड़ा होता रहे,
राम, लक्ष्मण, भरत, हनुमान, जटायु, सुग्रीव,
अंगद, बानर, गिलहरियां

या कि कोई विभीषण या सुषेण ही।
रावण की आग में अगर
आपको कोई तस्वीर दिखती है
तो आप भी इनमें से एक हो!
आप देर न करो,
सीता भले बैठी रहे जन्म भर
पर वाल्मीकि नहीं बैठेंगे,
रामायण चल रही है,
लोग आज अपने अपने गुण देखेंगे
और कूद पड़ेंगे
हर वर्ष को युग से मिलाती वैतरणी  में
तुम पूछते हो न!
सभ्यताएं इतिहास यूं ही रचती हैं।

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