Chaay Tumhaare Sath : Prarambh
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ASIN : B08Y7QVJW3
- टाईटल : चाय तुम्हारे साथ: प्रारम्भ
- Title : Chaay Tumhaare Sath : Prarambh
- Author : Harsh Ranjan
- Publisher : The Digital Idiots
- Language : Hindi
- Print length : 130 pages almost
- Novel Series : 1st part
- Versions : E-Book
- Fiction
Description
‘चाय तुम्हारे साथ: प्रारम्भ’ से उद्धृत
-क्या समझती हो तुम?- करण उसके नजदीक आया और उसे कंधों से धक्का देता दीवार पर ले गया।
-करण!-मेधा ने छूटने की कोशिश की।
-क्या करण!- करण ने आवाज अचानक मीठी की- चलो स्टार्ट करते हैं! देखो न! दूर-दूर तक कोई नहीं है। सिर्फ तुम!- करण ने मेधा के होठों पर उंगली रखी और बोला- सिर्फ मैं!
-करण! छोड़ो!- मेधा कसमसाई- प्लीज! छोड़ो न!
करण धीरे-धीरे उसके चेहरे पर झुकता गया। मेधा की सांसें अनियंत्रित थ, वो सिसकियाँ ले रही थी। करण के होंठ उसके होठों से मिले और करण की पकड़ ढीली पाकर वो अलग हट गयी। करण फिर बढ़ा।
मेधा ने सिसकी भरी और एक थप्पड़ चला दिया करण के गाल पर- प्लीज करण!
-यही आग लगी है न! करण ने मेधा की दोनों बाँहें मरोड़ी और मेधा को फिर से दीवार की तरफ खींच लाया- तुम देखना चाहती हो न!
-मुझे जाने दो प्लीज!
-तुम कहीं नहीं जाओगी!- करण ने उसके मंगटीके को खींचा।
-आह!
-प्यार का कीड़ा कुलबुला रहा है न दिमाग में!- करण ने दूसरे हाथ से उसके केश खींचते हुए कहा- आज ठंडी कर देता हूँ सारी आग!
मेधा की सांसें, उसकी इच्छा-अनिच्छा, उसकी तड़प, उसका दर्द, उसकी सिसकियाँ सभी करण के ताबड़तोड़ चुंबनों में कैद हो गईं। करण को हिसाब नहीं था कि उसने कुछ पलों के गुजरते-गुजरते कितने घाव लगा दिये थे मेधा के शरीर पर, उसके चेहरे के छोटे से छोटे हिस्से को भी वो घायल कर चुका था।
मेधा बेजान सी बेजान दीवार के सहारे बैठ गयी। उसकी आँखों में आंसू थे, उसके चेहरे पर ज्योंकी गहरे-गहरे घाव लगे थे, वो बिलकुल से टूट चुकी थी।
-अच्छी पूजा की तुमने एक लड़की की…करण ने पीछे मुड़कर देखा और फिर नजर फेरकर आगे बढ्ने को हुआ।
-तुम्हें वहाँ से निकलना पड़ेगा करण! थोड़ा पहले या थोड़ा बाद!
करण उसे अनसुना कर गया।
मेधा ने देखा तो वो माँगटीका वहीं, उसके सामने गिरा हुआ था। उसने अपना हाथ बढ़ाया और उसे हथेली पर उठाया। मुट्ठी बंद करते वक़्त उसकी आँखें फिर से छलछला गयी।
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