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Aashaadh ki Dupahari

  • ISBN 978-9390006342
  • टाईटल : आषाढ़ की दुपहरी
  • Title : Aashaadh ki Dupahari
  • Author : Harsh Ranjan
  • Publisher ‏ : ‎ Author’s Ink Publications (1 January 2021)
  • Language ‏ : ‎ Hindi
  • Print length ‏ : ‎ 140 + pages  
  • Poetry Collection
  • Versions : E-Book and Paperback
  • Paperback available on Amazon and Flipkart
Category:

Description

‘बचाकर रखना ‘ शीर्षक कविता से उद्धृत:

बेसहारा जब भटकेगा प्यार

तबके लिए कहा है कि

थोडी याद बचाकर रखना,

जिंदगी से इतना ही मिला

कि खुद को कभी नहीं चाहा

तुमने मुझको चाहा हो तो

मेरे लिये थोडी फरियाद बचाकर रखना।

थोडे गम बचाकर रखना,

आँखें नम बचाकर रखना,

जी सको मेरी नायिका सी

इतना दम बचाकर रखना,

हमदम मानना मेरी जान मुझे

मैं संग हूँ तुम्हारे

ये भ्रम बचाकर रखना।

वक्तव्य

आज भी आशा है थोडी!

मरते हुए भी जीने की उम्मीद नहीं छोडी।

तुम अपने आप में पूरी दुनिया हो!

जमीन हो, आसमान हो,

मेरी हसरते हो, मेरा अरमान हो!

कुछ तो तुम्हारे मन में भी बचा होगा,

इतनी जल्दी निशान मिटते नहीं,

हो सकता है कि कई बार

वो हमें दिखते नहीं!

हर जगह देखूँ तुम्हें

बस यही चाह रहा हूँ,

तुम्हारी आँखों में प्यार देखने के लिये

दुनिया घूमकर आ रहा हूँ।

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