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Chaay 2nd

Chaay Tumhaare Sath : Eeti

  • ASIN : B0917K572F
  • टाईटल : चाय तुम्हारे साथ: इति
  • Title : Chaay Tumhaare Sath : Eeti
  • Author : Harsh Ranjan
  • Publisher ‏ : ‎ The Digital Idiots 
  • Language ‏ : ‎ Hindi
  • Print length ‏ : ‎ 130 pages almost 
  • Novel Series : 2nd part (Last)
  • Versions : E-Book
  • Fiction
Category:

Description

‘चाय तुम्हारे साथ: इति’ से उद्धृत

संकेत निकल गया। तीज ने सब को पुकारकर कहा- लड़के लड़की को मिला दिया तो अब मूसलचंद क्यों बने हो? चलो सब बाहर!

-जरूर! – सभी दोनों को विश करते हुए बाहर निकले।

-बी क्यू!-तीज ने इशारा किया।

-कोई जरूरत पड़ी तो! – बी क्यू ने बहाना बनाया।

-इन दोनों को एक-दूसरे के अलावा और किसी चीज की जरूरत नहीं है। चलिये! बहानेबाज!

-ओके डीयर।

आज रविवार की इस शाम पूरे परिसर में मेधा थी, करण था और थी अनगिनत दिनों और अनगिनत रातों की कहानियाँ। नजरों नजरों में बात चलती…होंठ हिलते…स्मृतियाँ ताजी होतीं…कुछ याद करते, कुछ भूलते!

समय ने उन्हें आगे बढ़ते हुए आज मिलाया था और सिखाया था कि लोग आयु के एक दौर में सीखते हैं तो दूसरे दौर में जीते हैं। जीते-जीते उन्हें पता चलता है कि स्कूल और कॉलेज से निकलने के बाद भी लोगों को ज़िंदगी भर सीखना होता है और सीखने की ये प्रक्रिया ज़िंदगी के स्कूल में कितनी कठिन होती है और कैसी परीक्षाएँ देनी पड़ती हैं।

ब्लू लैब का ये प्रेरक एकांत, शाम का रंगीन माहौल, मेधा और करण की भावनाएं आपस में गुंथ पड़ती हैं और एक दूसरे की नजर से दुनिया को देखते हुए वो लाला जी को बुलाते हैं। लाला जी बड़ी अदा से चाय रखकर कंधे पर पड़े गमछे में पसीना पोछते हुए वापस जाते हैं। चाय की मीठी चुस्कियों के साथ जीवन के मीठे दौर की शुरुआत करने के लिए वो आज फिर से एक-दूसरे की हथेली थामते हैं। शायद आज कोई फिर से बड़े शहर की चकाचौंध और दमघोंटू माहौल को छोडकर आरा कि सहरसा कि भागलपुर के अपने छोटे से गाँव में वापस आया है और आँगन में लगी खटिया पर बैठकर, रसोई में चूल्हे पर ताव देती अपनी पत्नी को, खेत से लौटकर आ रहे अपने पिता को, ओसरे पर चावल चुनती अपनी माँ को, कमरे में छुपके अपनी भौजी का काजल लगाती अपनी छोटी बहन को, बल्ला-विकेट लेकर खलिहान से खेलकर लौटते अपने भाई को देखकर लंबी सी सांस भरता है, ‘घर में सब ठीक है!’

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